सुविचार

                        सुविचार

=> ” वक्त ” कहता है मैं फिर न आऊंगा,
मुझे खुद नहीं पता तुझे हसाऊंगा या रुलाऊंगा,
जीना है तो इस पल को जी ले,
“क्योंकि”
मै किसी भी हाल में इस पल को,
अगले पल तक रोक न पाऊंगा। सदा मुस्कुराते रहिये

 

 

समय और शब्द दोनों का उपयोग ,

लापरवाही से न करें

ये दोनों दुबारा न आते है , न मौका देते है। ।

 

 

अंदाज कुछ अलग है मेरे सोचने का ,

सबको मंजिल का शौक है

और मुझे सही रास्तों का ,

ये दुनिया इसलिए बुरी नहीं की , यहाँ बुरे लोग हैं ,

बल्कि इसलिए बुरी है की यहाँ अच्छे लोग खामोश है। ।

 

 

लोग तुम्हारी राह में हमेशा पत्थर ही फेकेंगे ,

अब ये तुम्हारे ऊपर निर्भर करता है कि ,

तुम उन पत्थरों से क्या बनाते हो ,

मुश्किलों  की दीवार या कामयाबी का पूल। ।

 

घमंड न करना जिंदगी में , तक़दीर बदलती रहती है।

शीशा वही रहता है , बस तस्वीर बदलती रहती है।

दूसरों को सुननाने के लिए  ” आवाज ” ऊँची मत करो ,

बल्कि

अपना ” व्यक्तित्व ” इतना ऊँचा बनाओ कि

आपको सुनने के लिए ” लोग ” इंतज़ार करें। ।

 

 

हालत सिखाते है , बातें सुन्ना सहना

वरना हर शख्स फितरत से बादशाह ही होता है ,

 

 

अँधेरे में जब हम दीया हाथ में लेकर चलते है

तो हमे यह भ्रम रहता है कि , हम दीए को लेकर चल रहा है

जबकि सचाई एकदम उलट है दिया हमे लेकर चल रहा होता है। ।

 

 

पलकें झुकें , और नमन हो जाये

मस्तक झुके और वंदन हो जाये

ऐसी नज़र कहाँ से लाऊँ ,

मेरे प्रभु  आप को याद करूँ और

आपके दर्शन हो जाये। ।

 

 

कुछ कर गुजरने के लिए

मौसम नहीं मन चाहिए ,

साधन तो सब जुट जायेंगे

बस संकल्प का धन चाहिए। ।

 

 

हारना तब आवश्यक हो जाता है

जब लड़ाई ” अपनों ” से हो

और जीतना तब आवश्यक हो जाता है

जब लड़ाई ” अपने आप ” से हो। ।

 

 

मंजिल मिले , ये तो मुक्क्दर की बात है

हम कोशिस ही न करें ये तो गलत बात है। ।

 

 

किसी ने बर्फ से पूछा कि आप इतने ठन्डे क्यों हो ?

बर्फ ने बड़ा अच्छा जवाब दिया –

” मेरा अतीत भी पानी

मेरा भविष्य भी पानी ”

फिर गर्मी किस बात पर रखु

 

 

यह जरुरी नहीं कि हर शख्स मुझसे मिलकर खुश हो ,

मगर मेरा प्रयास यह रहता है कि मुझसे मिलकर कोई दुखी न हो।

 

 

दर्द कितना खुशनसीब है जिसे प् कर ,

लोग अपनों को याद करते है ,

दौलत कितनी बदनसीब है ,

जिसे पाकर लोग अक्सर अपनों को भूल जाते है।

 

 

84 लाख जीवों में एक मानव ही धन कमाता है ,

अन्य कोई जीव कभी भूखा नहीं मरा ,

और मानव का कभी पेट नहीं भरा

 

 

कपडे छोटे हो गए , लाज कहाँ से आये

रोटी हो गई ब्रैड , ताकत कहा से आये

फूल हो गए प्लास्टिक , खुशबु कहाँ से आये

चेहरा हो गया मेकअप का , रूप कहा से आये

शिक्षक हो गए ट्युशन के , विद्या कहाँ से आये

भोजन हो गए होटल के ,तंदुरस्ती कहाँ से आये

प्रोग्राम हो गए केबल के , संस्कार कहाँ से आये

आदमी हो गए पैसे के , दया कहा से आये

धंधे हो गए हाई – फाई , बरकत कहाँ से आये

ताले हो गए पासवर्ड के सेफ्टी कहाँ से आये

भक्त हो गए स्वार्थी , भगवान कहाँ से आये

रिश्तेदार हो गए व्हाट्सअप पे , मिलने कहाँ से आये। ।

 

 

मंदिर के बाहर लिख हुआ एक बहुत खूबसूरत सच

अगर उपवास करके भगवान खुश होते ,

तो इस दुनिया में बहुत दिनों तक खाली पेट रहने वाला

भिखारी सबसे सुखी इंसान होता।

उपवास अन्न का नहीं विचारों का करें

इंसान खुद की नज़र में सही होना चाहिए , दुनिया तो भगवान से भी दुखी है। ।

 

 

चिड़िया जब जीवित रहती है तब वह

कीड़े – मकौड़े को कहती है।

और जब चिड़िया मर जाती है तब

कीड़े – मकौड़े उसको कहते है। ।

 

 

 

कंठ दिया कोयल को , तो रूप चिन लिया

रूप दिया मोर को , तो ईर्ष्या छीन ली

दी ईक्षा इंसान को , तो संतोष छीन लिया

दिया संतोष संत को ,तो संसार छीन लिया। ।

 

 

मत करना कभी गुरुर अपने पर ए इंसान

भगवान ने तेरे और तेरे जैसों को मिटटी से बना कर मिटटी में मिला दिया। ।

 

 

एक औरत बैठे को जन्म  देने के लिए सुंदरता त्याग देती है

और

वही बैठा एक सुन्दर बीबी के लिए अपनी माँ को त्याग देता है। ।

 

 

 

 

 

=> जापान को पछाड़ कर भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टील निर्माता देश बना।
और अन्ना को मोदी मुक्त भारत चाहिए..

=>अयोध्या मामले की त्वरित सुनवाई से डरे कांग्रेसी व विपक्षी, CJI के खिलाफ महाभियोग की तैयारी!!
जागो और जगावो हिन्दुवों।

=>RSS कोई शराब नहीं है जिससे मुक्ति दिलाओगे।
ये राष्ट्रवाद का नशा है जो ग़द्दारों को चढ़ेगा नहीं और हम देशभक्तों से उतरेगा नहीं।

=> वह जिंदगी अच्छी होती है ,जिसके पीछे 

      प्रेम की प्रेरणा होती है , और ज्ञान का मार्गदर्शन। 

=> क्रोध के समय थोड़ा रुक जाएँ 

      और थोड़ा सा झुक जाएँ 

तो दुनिया की सब समस्याएं हल हो जायेगी। 

=> हर रोज़ इतना मुस्कुराया करो कि 

     दुःख भी कहे यार में गलती से कहाँ आ गया। 

” राम – राज फिर आएगा , घर – घर भगवा छाएगा”

भगवा अग्नि का प्रतीक है। जिस प्रकार अग्नि सारी बुराइयों को जलाकर स्वाहा कर देती है , उसी प्रकार भगवा भी सारी बुराइयों को समाज से दूर करने का प्रयत्न कर रहा है। संपूर्ण भारत भगवामय हो ऐसा संघ का सपना है। यहाँ हमारा भगवा से आशय बुराई मुक्त समाज से है।

इस भगवा ध्वज को ‘ श्री रामचंद्र ‘ ने राम – राज्य में ‘ हिंदूकुश ‘ पर्वत पर फहराया था , जो हिंदू साम्राज्य के वर्चस्व का परिचायक है।  इसी भगवा ध्वज को ‘ वीर शिवाजी ‘ ने मुगल व आताताईयों को भगाने के लिए थामा था। वीरांगना लक्ष्मीबाई ने भी साँस छोड़ दिया , किंतु भगवा ध्वज को नहीं छोड़ा।

इस भगवा प्लेटफार्म से हम हिंदू अथवा हिंदुस्तान के लोगों से एक सभ्य व शिक्षित समाज की कल्पना करते हैं। जिस प्रकार से राम – राज्य में शांति और सौहार्द का वातावरण था , वैसे ही राज्य की कल्पना हम इस समाज से करते हैं।