राष्ट्रीय गान का अर्थ – राष्ट्रीय गीत का अर्थ – राष्ट्रीय गान राष्ट्रीय गीत

राष्ट्रीय गान का अर्थ – राष्ट्रीय गीत का अर्थ – राष्ट्रीय गान राष्ट्रीय गीत

 

 

राष्ट्रीय गीत  वन्दे मातरम् – rashtriya geet vande maatram

 

वन्‍दे मातरम राष्ट्रीय गीत – बंकिम चन्‍द्र चटर्जी द्वारा संस्‍कृत में रचित है |

 

पूरा वन्दे मातरम् गीत इस प्रकार है –

वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥

 

राष्ट्रीय गीत का अर्थ –

मैं आपके सामने नतमस्तक होता हूँ। ओ माता!
पानी से सींची, फलों से भरी,
दक्षिण की वायु के साथ शान्त,
कटाई की फसलों के साथ गहरी,
माता!

उसकी रातें चाँदनी की गरिमा में प्रफुल्लित हो रही हैं,
उसकी जमीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुन्दर ढकी हुई है,
हँसी की मिठास, वाणी की मिठास,
माता! वरदान देने वाली, आनन्द देने वाली।

 

जरूरी जानकारी

स्वाधीनता संग्राम में इस गीत की निर्णायक भागीदारी के बावजूद जब राष्ट्रगान के चयन की बात आयी तो वन्दे मातरम् के स्थान पर रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखे व गाये गये गीत जन गण मन को वरीयता दी गयी। इसकी वजह यही थी कि कुछ मुसलमानों को “वन्दे मातरम्” गाने पर आपत्ति थी, क्योंकि इस गीत में देवी दुर्गा को राष्ट्र के रूप में देखा गया है।

 

राष्ट्रीय गान जन गण मन – rashtriya gaan jan gan man

हमारा राष्ट्रीय गान जन गण मन है | रबिन्द्रनाथ टैगोर द्वारा ‘जन गन मन अधिनायक’ को पहले बंगाली में लिखा गया था, और इसका हिन्दी संस्करण संविधान सभा द्वारा 24 जनवरी 1950 को स्वीकार किया गया।

 

पूरा राष्ट्रीय गान के बोल इस प्रकार है –

जनगणमन-अधिनायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छलजलधितरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे,
गाहे तव जयगाथा।
जनगणमंगलदायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

अहरह तव आह्वान प्रचारित, शुनि तव उदार बाणी
हिन्दु बौद्ध शिख जैन पारसिक मुसलमान खृष्टानी
पूरब पश्चिम आसे तव सिंहासन-पाशे
प्रेमहार हय गाँथा।
जनगण-ऐक्य-विधायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

पतन-अभ्युदय-वन्धुर पन्था, युग युग धावित यात्री।
हे चिरसारथि, तव रथचक्रे मुखरित पथ दिनरात्रि।
दारुण विप्लव-माझे तव शंखध्वनि बाजे
संकटदुःखत्राता।
जनगणपथपरिचायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

घोरतिमिरघन निविड़ निशीथे पीड़ित मूर्छित देशे
जाग्रत छिल तव अविचल मंगल नतनयने अनिमेषे।
दुःस्वप्ने आतंके रक्षा करिले अंके
स्नेहमयी तुमि माता।
जनगणदुःखत्रायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

रात्रि प्रभातिल, उदिल रविच्छवि पूर्व-उदयगिरिभाले –
गाहे विहंगम, पुण्य समीरण नवजीवनरस ढाले।
तव करुणारुणरागे निद्रित भारत जागे
तव चरणे नत माथा।
जय जय जय हे जय राजेश्वर भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

 

यह भी पढ़ सकते हैं –  जन गण मन – हमारा राष्ट्रगान तथा सही उच्चारण

भारत के राष्ट्रगान जन गण मन का अर्थ क्या है ?

राष्ट्रगान का अर्थ इस प्रकार है:-

“सभी लोगों के मस्तिष्क के शासक, कला तुम हो, भारत की किस्मत बनाने वाले [ये पंक्ति भारत के नागरिकों को समर्पित है, क्युकी लोकतंत्र में नागरिक ही वास्तविक स्वामी होता है] [ अगली पंक्तिया भारत देश की भूमि को नमन करते हुए है ] तुम्हारा नाम पंजाब, सिन्ध, गुजरात और मराठों के दिलों के साथ ही बंगाल, ओड़िसा, और द्रविड़ों को भी उत्तेजित करता है, इसकी गूँज विन्ध्य और हिमालय के पहाड़ों में सुनाई देती है, गंगा और जमुना के संगीत में मिलती है और भारतीय समुद्र की लहरों द्वारा गुणगान किया जाता है। वो तुम्हारे आर्शीवाद के लिये प्रार्थना करते है और तुम्हारी प्रशंसा के गीत गाते है। [अगली पंक्तिया देश के सैनिकों और किसानों को समर्पित है ] तुम ही समस्त प्राणियों को सुरक्षा एवं मंगल जीवन प्रदान करने वाले हो, और तुम ही भारत के वास्तिविक भाग्य विधाता हो जय हो जय हो जय हो तुम्हारी। आप सभी से मिलकर ये राष्ट्र बना है, अतः आप सबकी जय जय जय जय हे”

 

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