चिर पुरातन राष्ट्र का फिर से नया निर्माण हो।chir puratan rashtr ka fir se

चिर पुरातन राष्ट्र का फिर से नया निर्माण हो –  प्रस्तुत गीत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में बड़े ही उत्साह पूर्वक ढंग से गाया जाता है।  विशेषकर यह गीत तब और अधिक जोर के साथ गाया जाता है जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखंड भारत दिवस के रूप में अपना कार्यक्रम मनाता है। ( chir puratan rashtr ka fir se )

अखंड भारत अर्थात आज से कुछ 100 वर्षों पूर्व जब भारत का वृहत्तर क्षेत्र –  मयमार , बंगाल , पाकिस्तान , भूटान , नेपाल , श्री लंका , अफगानिस्तान आदि तक था। समय और कुछ घटनाक्रमों के कारण यह सब राष्ट्र स्वतंत्र होते गए और भारत का धीरे-धीरे विघटन होता गया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखंड भारत के रूप में 14 अगस्त को कार्यक्रम का आयोजन करता है और यह कामना करता है।  भले ही भौगोलिक रूप से हम एक ना हो सके पर वैचारिक रूप से एक हो और भारत की संस्कृति का गौरव गान इस गीत में किया गया है।

 

 

chir puratan rashtr ka fir se

अखंड भारत उत्सव हेतु गण गीत

 

चिर पुरातन राष्ट्र का फिर से नया निर्माण हो
चीर संकट सागरों का जग जयी अभियान हो॥
चिर पुरातन राष्ट्र का फिर से नया निर्माण हो
चीर संकट सागरों का जग जयी अभियान हो॥

 

तेज लेकर सूर्य का पथ पर सदा बढ़ते रहें
शशि सुधा लेकर ह्रदय में ताप हम हरते रहें
ज्ञान लेकर शारदा का शक्ति शिव से हम बढ़े
नेह ममता मातु की गुण राम से पावन गढ़े
कर्ममय जीवन रचें हम विश्व का कल्याण हो॥
चिर पुरातन राष्ट्र का फिर से नया निर्माण हो
चीर संकट सागरों का जग जयी अभियान हो॥

 

त्याग की लें प्रेरणा हम ऋषि दधीचि सुजान से
भक्ति नानक की लिये हम नीति कृष्ण महान से
भीष्म की भीषण प्रतिज्ञा आन वीर प्रताप की
शौर्य विक्रम का ह्रदय में धार करुणा बुध्द की
राष्ट्र जीवन के लिए अब ये अमर सोपान हों॥
चिर पुरातन राष्ट्र का फिर से नया निर्माण हो
चीर संकट सागरों का जग जयी अभियान हो॥

 

पूर्वजों की जो धरोहर ले चलें अभिमान से
मूर्ति नूतन हम गढ़ें विज्ञान का नव मान ले
हर दिशा में प्रगति के चरण हम धरते चलें
श्रेष्ठ गीता ज्ञान का संदेश हम देते चलें
हिन्दु संस्कृति का जगत में आज फिर सम्मान हो॥

 

चिर पुरातन राष्ट्र का फिर से नया निर्माण हो
चीर संकट सागरों का जग जयी अभियान हो॥
चिर पुरातन राष्ट्र का फिर से नया निर्माण हो
चीर संकट सागरों का जग जयी अभियान हो॥
chir puratan rashtr ka fir se

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