यही तो मन्त्र है अपना नहीं रुकना नहीं थकना। गणगीत। gangeet | yahi to mantr apna

यही तो मन्त्र है अपना , नहीं रुकना नहीं थकना

गणगीत

gangeet | yahi to mantr hai apna

चरैवेति चरैवेति यही तो मन्त्र है अपना , नहीं रुकना नहीं थकना

सतत् चलना सतत् चलना , यही तो मंत्र है अपना। 

शुभंकर मंत्र है अपना।।२

 

हमारी प्रेरणा भास्कर है , जिनका रथ सतत् चलता ,

युगों से कार्यरत है , जो सनातन है प्रबल ऊर्जा ,

गति मेरा धरम है जो भ्रमण करना भ्रमण करना ,

यही तो मंत्र है अपना शुभंकर मंत्र है अपना। ।

 

हमारी प्रेरणा माधव है जिनके मार्ग पर चलना ,

सभी हिंदू सहोदर है ये जन – जन को सभी कहना ,

स्मरण उनका करेंगे और समय दें अधिक जीवन का ,

यही तो मंत्र है अपना शुभंकर मंत्र है अपना। ।

 

 

हमारी प्रेरणा भारत है भूमि की करें पूजा ,

सुजलां सुफलां सदा स्नेहा यही तो रूप है उसका ,

जियें माता के कारण हम करें , जीवन सफल अपना ,

यही तो मंत्र है अपना शुभंकर मंत्र है अपना। ।

सतत् चलना सतत् चलना , यही तो मंत्र है अपना।

शुभंकर मंत्र है अपना।

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भगवा अग्नि का प्रतीक है। जिस प्रकार अग्नि सारी बुराइयों को जलाकर स्वाहा कर देती है , उसी प्रकार भगवा भी सारी बुराइयों को समाज से दूर करने का प्रयत्न कर रहा है। संपूर्ण भारत भगवामय हो ऐसा संघ का सपना है। यहाँ हमारा भगवा से आशय बुराई मुक्त समाज से है।

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