bodhitwa sanghbhawam rss geet lyrics बोधयित्वा संघभावं

आज हम संघ का एक प्रसिद्ध गीत लिखने जा रहे हैं जिसका लय और लेखन संस्कृत में है कुछ मात्राओं में अशुद्धि हो सकती है किंतु उच्चारण वही रहेगा। (bodhitwa sanghbhawam nashyitwa heenbhawam)
यह गीत संघ( RSS ) में बड़े जोश से गाया जाता है जिसमें हिंदू राष्ट्र के महान और पुरातन प्राचीन होने का गुणगान है प्रस्तुत गीत में संघ द्वारा अपनाई गई पद्धति को भी जानने का अवसर मिलता है इससे हमें ज्ञात होता है कि किस प्रकार संघ में ज्ञान की प्राप्ति होती है और हीन भावना का नाश होता है ऐसे ऐसे प्रत्येक पंक्ति में बड़े ही गौरव गान के साथ गीत को रचा गया है।

 

bodhitwa sanghbhawam nashyitwa heenbhawam

बोधयित्वा संघभावं नाशयित्वा हीनभावं

 

बोधयित्वा संघभावं नाशयित्वा हीनभावं 

नवशताबधाम कल्युगेस्मिन हिन्दुधर्मो विजयताम। । 

बोधयित्वा संघभावं नाशयित्वा हीनभावं 

नवशताबधाम कल्युगेस्मिन हिन्दुधर्मो विजयताम। ।

 

 

राष्ट्र्भक्तिम सामरस्यं दक्ष – सम्पत प्रार्थनाभिः

वर्धयित्वा स्वभिमानं पांचजन्यः श्रव्यताम।

दीर्घतपस्या पूर्णमनसा चारुवचसा वीरवृत्या

स्वार्थरहितं ज्ञानसहितं क्षात्रतेजो दर्शयताम। ।

नवशताबधाम कल्युगेस्मिन हिन्दुधर्मो विजयताम। ।

 

 

वेदवाणी राष्ट्रवाणी धर्मसंस्कृतिमूलगङ्गा। 

लोकभाषोज्जीवनार्थं संस्कृतेन हि भाष्यताम 

हिन्दूदर्शनजीवभूता संस्कृतिः खलु विश्वमान्या 

भवभारत वैभवार्थं सा हि नित्यं सेव्यताम 

नवशताबधाम कल्युगेस्मिन हिन्दुधर्मो विजयताम। ।

 

 

ऐक्यभावं वर्धयित्वा भेदभावं वारयित्वा ,

मातृमंदिर पूजनार्थं नित्यशाखा गम्यताम। 

हिन्दुबान्धव स्नेहसहितं सर्वसाधक शक्तिरुपं।।

विश्वमङ्गल शांतिसुखदं हिन्दूराष्ट्रं राजताम। ।

नवशताबधाम कल्युगेस्मिन हिन्दुधर्मो विजयताम। ।

बोधयित्वा संघभावं नाशयित्वा हीनभावं 

नवशताबधाम कल्युगेस्मिन हिन्दुधर्मो विजयताम। ।

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