नवचैतन्य हिलोरे लेता जाग उठी है तरुणाई nav chaitany hilore leta jaag uthi hai tarunai

नवचैतन्य हिलोरे लेता जाग उठी है तरुणाई – प्रस्तुत गीत बड़ा ही उत्साहवर्धक है , जिसमें वीर सपूतों की तरुणाई जाग रही है। यह तरुणाई नई चेतना का प्रतीक है।( nav chaitany hilore leta jaag uthi hai tarunai )

इस तरुणाई के आगे कोई भी मूढ़ दुस्साहस करने का भी नहीं सोच सकता।
भारत सदैव सुर – वीरों का देश रहा है यहां की विजय गाथा देश – विदेश में गाई जाती है। किस प्रकार मुट्ठी भर लोगों ने आकर यहां के भोली-भाली जनता और अवसरवादी लोगों का साथ लेकर भारत जैसे देश को धोखा दिया है। उस धोखे का बदला लेने के लिए अब यहां की जनता जाग गई है।  प्रस्तुत गीत में भारत का गौरव गान किया गया है।

nav chaitany hilore leta jaag uthi hai tarunai

 

 

नवचैतन्य हिलोरे लेता जाग उठी है तरुणाई
हिंदुराष्ट्र निज दिव्य रूप मे उठा पुनः ले अंगडाई
जाग उठी है तरुणाई ॥धृ॥
नवचैतन्य हिलोरे लेता जाग उठी है तरुणाई

 

मुठ्ठीभर आक्रांताओ ने अनगिन अत्याचार किये
आत्मशून्य दिगभ्रमित हमीने उन्हे कई उपहार दिये
विदेशियों की चाल न समझे लडे मरे भाई भाई
जाग उठी है तरुणाई
नवचैतन्य हिलोरे लेता जाग उठी है तरुणाई

 

जाती भाषा वर्ग भिन्नता है कितने मिथ्या अभिमान
क्षेत्र-क्षेत्र के स्वार्थ उभारे ले अपनी-अपनी पहचान
राष्ट्रभाव का करे जागरण पाट चलेंगे सब खाई
जाग उठी है तरुणाई
नवचैतन्य हिलोरे लेता जाग उठी है तरुणाई

 

विविध पंथ मत दर्शन अपने भेद नही वैशिष्ट्य हमारा
एक अभेद्य अखण्ड संस्कृती की बहती अमृत धारा
सत्य सनातन धर्म अधिष्टित शुभमंगल बेला आई
जाग उठी है तरुणाई
नवचैतन्य हिलोरे लेता जाग उठी है तरुणाई

 

ध्येय समर्पित जीवन अपना भीष्म प्रतिज्ञा दोहराए
एक-एक को हृदय लगाकर विराट शक्ती प्रकटाए
माँ भारत की जगत्-प्रतिष्ठा यज्ञ पताका लहराई
जाग उठी है तरुणाई
नवचैतन्य हिलोरे लेता जाग उठी है तरुणाई
नवचैतन्य हिलोरे लेता जाग उठी है तरुणाई
हिंदुराष्ट्र निज दिव्य रूप मे उठा पुनः ले अंगडाई
जाग उठी है तरुणाई ॥

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बोधयित्वा संघभावं नाशयित्वा हीनभावं

 

 

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